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हाई कोर्ट का अहम फैसला: मकान मालिकों के लिए राहत भरी खबर

by dailyindiakhabar
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हाई कोर्ट का अहम फैसला

अगर आप अपने घर को किराये पर देने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मकान मालिकों के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाया है, जो किरायेदारों के लिए जानना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं इस फैसले से जुड़ी अहम बातें और घर किराये पर देने से पहले क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

घर किराये पर देने से पहले जरूरी बातें

घर किराये पर देने से पहले कुछ अहम नियमों का पालन करना मकान मालिक के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

  1. किरायेदार का सत्यापन करें: किरायेदार का नाम, पता, बैकग्राउंड और क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी जरूर लें। किरायेदार के परिवार के आधार कार्ड की एक प्रति नजदीकी पुलिस स्टेशन में जमा कराएं और उनके सत्यापन का प्रमाण पत्र प्राप्त करें।
  2. छात्रों के लिए विशेष ध्यान: अगर आप छात्रों को कमरा किराये पर दे रहे हैं तो उनकी पूरी जानकारी लेकर ही उन्हें रहने की अनुमति दें।
  3. पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य करें: किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन कराना अनिवार्य है ताकि भविष्य में किसी तरह की परेशानी न हो।

रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं

किराये पर घर देने से पहले लिखित रेंट एग्रीमेंट तैयार करना बेहद जरूरी है। इसमें निम्न बातें शामिल होनी चाहिए:

  • किरायेदार द्वारा मकान को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में उसकी जिम्मेदारी तय हो।
  • बिजली और पानी का मीटर अलग-अलग हो ताकि बिल का हिसाब स्पष्ट रहे।
  • किराया बढ़ाने के नियम और अवधि का स्पष्ट उल्लेख किया जाए।
  • रेंट एग्रीमेंट की एक प्रति अपने पास और मूल प्रति मालिक के पास रखें।

सिक्योरिटी डिपॉजिट के नियम

किराये पर घर देने से पहले सिक्योरिटी डिपॉजिट तय करना जरूरी है। आमतौर पर यह राशि एक से तीन महीने के किराये के बराबर होती है। मकान को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचने पर यह राशि वापस कर दी जाती है। सिक्योरिटी डिपॉजिट मकान मालिक के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है।

किरायेदार के कब्जे से बचाव कैसे करें?

कुछ मामलों में किरायेदार बारह साल तक लगातार रहकर संपत्ति पर कब्जे का दावा कर सकते हैं। इसे रोकने के लिए मकान मालिक को चाहिए कि:

  • किरायेदार की पहचान और रहने की अवधि का स्पष्ट रिकॉर्ड रखें।
  • समय-समय पर अपने घर का निरीक्षण करें।
  • किरायेदार द्वारा दिए गए टैक्स, बिल और अन्य दस्तावेजों की निगरानी करें।

निष्कर्ष

मकान मालिकों के लिए यह फैसला राहत भरा है, लेकिन अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सही प्रक्रिया अपनाना बेहद जरूरी है। किरायेदार के चयन से लेकर रेंट एग्रीमेंट और सिक्योरिटी डिपॉजिट तक हर कदम पर सावधानी बरतें ताकि भविष्य में किसी तरह की कानूनी समस्या का सामना न करना पड़े।

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