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पुरी, ओडिशा से निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, जिसे हम आमतौर पर रथ यात्रा कहते हैं, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण आयोजन है। वर्ष 2025 में यह यात्रा आज, 27 जून (शुक्रवार) को शुभ समय पर शुरू हुई है। यह फेस्टिवल पूरी दुनिया में श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है।
इस वर्ष यात्रा की खास विशेषता है – तीनों रथों को खींचने वाली रस्सियों के नाम। ये अलग-अलग नाम उन रस्सियों की आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाते हैं, जिन्हें जानना भक्तों के लिए दिलचस्प रहेगा। आइए जानें यात्रा से जुड़ी कुछ मुख्य जानकारियाँ, रस्सियों के नाम, रथों की विशेषताएं और रोचक तथ्य।
रथ यात्रा 2025 जानकारी (मुख्य तथ्य)
विशेष बात | जानकारी |
---|---|
आयोजन | Jagannath Rath Yatra 2025 |
तिथि | 27 जून 2025 (रविवार) |
स्थान | पुरी, ओडिशा |
देवता | श्री जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा |
गंतव्य | गुंडिचा मंदिर |
ऑनलाइन दर्शन | श्री जगन्नाथ मंदिर वेबसाइट, YouTube Live, Doordarshan |
मुख्य रस्सियां और उनका महत्व
तीनों अत्यंत बड़े और भव्य रथों को खींचने वाली रस्सियों के आध्यात्मिक नाम निम्नलिखित हैं:
- वासुकी – बलभद्र के रथ की रस्सी
– नाग देवता वासुकी के नाम पर, शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक। - स्वरूप रेखा – सुभद्रा के रथ की रस्सी
– स्त्री सशक्तिकरण और मातृत्व का संकेत देने वाली रस्सी। - शंख चूड़ा – जगन्नाथ के रथ की रस्सी
– भगवान विष्णु के शंख से प्रेरित, मंगल और संरक्षण का प्रतीक।
तीनों रथों की विशेषताएँ
रथ का नाम | भगवान | ऊँचाई (अंदाजन) | पहिए |
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नंदीघोष | श्री जगन्नाथ | लगभग 45 फीट | 16 |
तालध्वज | भगवान बलभद्र | 43 फीट | 14 |
दर्पदलन | देवी सुभद्रा | 42 फीट | 12 |
- तीनों रथ नीम की लकड़ी से बनाए जाते हैं, जो धीरे-धीरे स्थापित होते हैं।
- रथों का निर्माण लगभग एक साल पहले शुरू होता है और यात्रा के दौरान नए रूप में प्रकाशित होते हैं।

रथ यात्रा से जुड़े 10 रोचक तथ्य
- यह दुनिया की सबसे बड़ी चप्पे-रथ यात्रा है, जिसमें लाखों लोग शरीक होते हैं।
- यात्रा से पहले Anavasara नामक अवधि आती है जब देवताओं को स्नान पूर्णिमा के बाद आम लोगों से दूर रखा जाता है
- यात्रा की शुरुआत Rath Snana स्नान-समारोह के साथ होती है, जिसमें 108 हवन पात्रों का उपयोग होता है
- पुरी के राजा द्वारा किया जाने वाला ‘छेरा पहरा’ (रथों की सफाई) मुक्ति का एक प्रतीक माना जाता है
- यात्रा 9 दिनों तक चलती है—27 जून से 5 जुलाई तक—और अंतिम दिन Niladri Bijaya के रूप में संपन्न होती है
- बाहरी श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं और कई शहरों में रथ यात्रा की नकल भी की जाती है
- यात्रा के दौरान पुलों पर अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था और ट्रैफिक नियंत्रण होता है
- इस साल 3,000 kg फूलों से मंदिर और रास्तों को सजाया गया है
- यात्रा के बाद रथों की लकड़ी के हिस्से नीलामी के लिए रखे जाते हैं—जगन्नाथ (₹3 लाख), बलभद्र (₹2 लाख), सुभद्रा (₹1.5 लाख)
- इस वर्ष कुछ राज्यों में उपविधि के रूप में बैंक बंद हैं, जैसे 27-28 जून को कुछ राज्यों में छुट्टी
Live Darshan और कार्यक्रम
- दूरदर्शन पर सुबह 8:30 बजे से लाइव प्रसारण
- Doordarshan और YouTube पर दर्शन उपलब्ध होंगे।
- रिसीवर्स और ऑनलाइन आडियो-वीडियो प्लेटफॉर्म्स पर सीधा प्रसारण रहेगा।
यात्रा के दौरान सुरक्षा विशेष प्रबंध
पुरी प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं:
- 203 से अधिक पुलिस प्लेटून, NSG और एंटी-टेरर दल
- एआई CCTV, ड्रोन निगरानी, बांधित ट्रैफिक बेल्ट्स स्थापित किए गए हैं।
- हेल्थ और मेडिकल सुविधाओं के लिए अस्थाई कैंप बनाए गए हैं।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. रथ यात्रा की तिथि क्या है?
A: रथ यात्रा इस वर्ष 27 जून 2025 (शुक्रवार) को शुरू हुई है।
Q2. रस्सियों के नाम क्या हैं?
A: वासुकी (बलभद्र), स्वरूप रेखा (सुभद्रा), शंख चूड़ा (जगन्नाथ)।
Q3. यात्रा की अवधि कितनी है?
A: यह यात्रा कुल 9 दिनों तक चलती है—27 जून से 5 जुलाई तक।
Q4. लाइव दर्शन कैसे करें?
A: दूरदर्शन, मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट, YouTube जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर सुबह 8.30 बजे से दर्शन संभव हैं।
निष्कर्ष
जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता की जीती-जागती मिसाल है। रस्सियों के नाम से लेकर रथों की बनावट और रस्मों तक हर पहलू आध्यात्म और परंपरा से जुड़ा हुआ है। यदि आप पुरी नहीं जा पाए हैं, तो ऑनलाइन दर्शन से जुड़कर इस दिव्य यात्रा का आशीर्वाद प्राप्त करें।
डिस्क्लेमर (Disclaimer):
इस लेख में दी गई सभी जानकारियां विभिन्न समाचार स्रोतों, आधिकारिक वेबसाइटों, और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचनाओं पर आधारित हैं। हमने सही और अद्यतन जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है, लेकिन फिर भी कोई त्रुटि, तिथि में परिवर्तन, या कार्यक्रम में बदलाव हो सकता है।
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