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1 मई 2025 से सरकार देशभर में नया GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू करने जा रही है। इसका मतलब है कि अब टोल देने के लिए गाड़ी रोकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) FASTag सिस्टम को हटाकर एक नया सैटेलाइट तकनीक वाला GNSS टोल सिस्टम लागू कर रही है, जिसमें टोल आपकी गाड़ी द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर लिया जाएगा।
FASTag की विदाई, GNSS की शुरुआत
2016 में शुरू हुआ FASTag अब अपने अंतिम चरण में है। हालांकि इससे टोल पर समय की बचत हुई, लेकिन तकनीकी दिक्कतों और लंबी लाइनों की समस्या अब भी बनी हुई है। इन कमियों को दूर करने के लिए अब GNSS (Global Navigation Satellite System) को लाया जा रहा है।
हाल ही में नागपुर में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि GNSS सिस्टम को अप्रैल के अंत तक लागू कर दिया जाएगा। पहले यह सिस्टम 1 अप्रैल से शुरू होने वाला था, लेकिन कुछ कारणों से इसमें देरी हुई। अब यह 15 दिनों में शुरू होने वाला है।
GNSS टोल सिस्टम कैसे काम करेगा?
GNSS सिस्टम में आपकी गाड़ी में एक GPS ट्रैकर या ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) लगाई जाएगी। जैसे ही आपकी गाड़ी हाईवे पर चलेगी, सैटेलाइट से उसकी मूवमेंट ट्रैक होगी। आपने जितनी दूरी तय की, उतना ही टोल आपके लिंक किए गए वॉलेट या बैंक खाते से अपने आप कट जाएगा। इसमें प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों विकल्प मिलेंगे।
GNSS सिस्टम क्यों जरूरी है?
- FASTag के बावजूद तकनीकी दिक्कतें, लंबी लाइनें और टैग के गलत इस्तेमाल की शिकायतें आ रही थीं।
- GNSS सिस्टम से बिना रुके, सीधे रास्ता साफ मिलेगा।
- फर्जीवाड़ा और मानवीय गलती की संभावना भी कम होगी।
- सफर पूरी तरह कॉन्टैक्टलेस और आसान होगा।
FASTag यूज़र्स को क्या करना होगा?
- 30 अप्रैल 2025 तक FASTag का इस्तेमाल जारी रखें।
- 1 मई से अपनी गाड़ी में सरकार द्वारा अनुमोदित GPS यूनिट लगवाएं।
- इसके बाद अपने बैंक खाते या वॉलेट को नए सिस्टम से लिंक करें।
- एक बार GNSS सिस्टम चालू हो जाए, तो अपनी गाड़ी से FASTag स्टिकर हटा सकते हैं।
निष्कर्ष:
GNSS टोल सिस्टम से सफर और आसान, तेज़ और स्मार्ट हो जाएगा। यह तकनीक देश को डिजिटल इंडिया की ओर एक और कदम आगे ले जाएगी।